Home  »  Blog  »  हेल्थ डिवाइस एवं प्रोडक्ट्स   »   सफल डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए सही टेस्ट स्ट्रीप्स का चयन कैसे करें?

सफल डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए सही टेस्ट स्ट्रीप्स का चयन कैसे करें?

968 0
शुगर टेस्ट स्ट्रीप्स
0
(0)

डायबिटीज से ग्रसित अधिकतर लोग पूरी तरह से अपने ग्लाइसेमिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और ऐसा होना बहुत ज़रूरी है। हालाँकि, डायबिटीज में आप को अपने शुगर लेवल की जाँच, सही दिनचर्या और सही डाइट और हाइपोटेंशन और हाइपोक्सिया पर भी ध्यान देना चाहिए। जबकि इन सब के साथ शुगर मापने के लिए ग्लूकोमीटर और शुगर टेस्ट स्ट्रिप्स का होना भी जरुरी है। 

इस ब्लॉग में हम ग्लूकोमीटर स्ट्रिप्स के बारे में जानेंगे, और यह भी जानेंगे कि वे शुगर लेवल की जाँच के लिए एक विश्वसनीय आधारशिला कैसे बनाते हैं।

Free Doctor Consultation Blog Banner_1200_350_Hindi (1)

ग्लूकोमीटर स्ट्रिप्स को समझना – एक महत्वपूर्ण डायबिटीज डिवाइस 

डायबिटीज के लंबे प्रभावों को कम करने के लिए ग्लाइसेमिक नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण है। हेल्थ एक्सपर्ट, बाजार में उपलब्ध सब से अच्छे उपकरणों के इस्तेमाल का सुझाव देते है, जो कि सही परिणाम उपलब्ध कराने में सहायक होते है। वर्तमान में, उपलब्ध सबसे लोकप्रिय विकल्प ग्लूकोमीटर है। हालाँकि, डॉक्टर टाइप-1 और गर्भकालीन डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए ग्लूकोमीटर के साथ सीजीएम सिस्टम की सलाह देते हैं।

हालाँकि, सीजीएम की सटीकता पर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं और इसलिए डायबिटीज से ग्रसित लोग अपने शुगर लेवल की जांच करने के लिए ग्लूकोमीटर का उपयोग करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि शुगर टेस्ट स्ट्रिप्स अत्याधुनिक नैनो साइंस और टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बनाई गई हैं। वे आम तौर पर इलेक्ट्रोकेमिकल प्रतिक्रिया (एक प्रक्रिया जहां इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रोड और इलेक्ट्रोलाइट के बीच गुजरते हैं) द्वारा सक्रिय होते हैं। 

यह भी पढ़ें: प्राकृतिक उपायों को अपनाकर डायबिटीज रिवर्सल की ओर कदम बढ़ाये 

सही ग्लूकोमीटर स्ट्रिप्स का चयन – विचार करने योग्य कारक

जिन लोगों को हाल ही में डायबिटीज का पता चला है, उनके लिए सही ग्लूकोमीटर स्ट्रिप्स चुनना एक मुश्किल  काम हो सकता है। जाँच करना , रीसेटिंग, शेल्फ-लाइफ और तालमेल जैसे शब्द काफी मुश्किल हो सकते हैं। लेकिन सच यही है कि इन से कोई बच नहीं सकता है, और इसलिए डायबिटीज वाले लोगों को इन कारकों को तुरंत समझने और जानने की आवश्यकता है, और सुनिश्चित करें कि उनके ग्लाइसेमिक लक्ष्यों को मानवीय और तकनीकी गड़बड़ियों का सामना न करना पड़े। इन मानदंडों को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका सही ब्रांड और मॉडल की स्ट्रिप्स खरीदना है। उदाहरण के लिए, यदि आप ABC01 ग्लूकोमीटर खरीदते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप ऐसी स्ट्रिप्स चुनें जो इस मॉडल के लिए सही हों। साथ ही शुगर टेस्ट स्ट्रिप्स की कीमत भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि इसे बार-बार बदलने की आवश्यकता होती है और इसलिए सबसे पहले वह ग्लूकोमीटर चुनें जो आपके बजट के अनुकूल हो।

यह भी पढ़ें: डायबिटीज और वजन मैनेजमेंट- जानें सही उपाय  

ग्लूकोमीटर स्ट्रिप के उपयोग में महारत हासिल करना – सटीक जाँच के उपाय

आपको वास्तविक समय की रीडिंग लाने की आवश्यकता है। इसके लिए आपको सही स्ट्रिप्स का चयन करना होगा और उनका ध्यान रखना होगा। याद रखें, स्ट्रिप्स की सेल्फ-लाइफ कम होती है और अगर बॉक्स को खुला रखा जाए या सूरज की रोशनी के संपर्क में रखा जाए तो यह और भी कम हो जाती है। नमी एक अन्य कारक है जिस पर आपको स्ट्रिप्स को स्टोर करते समय विचार करने की आवश्यकता है।

डायबिटीज में यह समझने की जरूरत है कि स्ट्रिप्स पर मौजूद ग्लूकोज ऑक्सीडेज पानी के प्रति संवेदनशील है और इसलिए नमी के कारण यह अपने आप एक रासायनिक प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकती हैं। उंगलियों के बीच स्विच करना (बाएं और दाएं हाथ) यह सुनिश्चित करने का एक और तरीका है कि आप सटीक रीडिंग प्राप्त कर रहे हैं। आख़िर में, स्ट्रिप्स पर सही मात्रा में खून की बूँद रखे। बहुत से लोग दर्द और डर के कारण बहुत कम मात्रा में खून स्ट्रिप्स में रखते हैं जिससे गलत रीडिंग आती है। सुनिश्चित करें कि शुगर लेवल की पूरी जाँच सही और सफ़ाई को ध्यान में रख कर की जानी चाहिए।

अनुकूलता सुनिश्चित करना – ग्लूकोमीटर स्ट्रिप्स को अपने डिवाइस के साथ जोड़ना

डायबिटीज में अधिकतर लोग नई खरीदी गई शुगर टेस्ट स्ट्रिप्स की जाँच नहीं करते हैं। यह टाइप-1 और गर्भकालीन डायबिटीज के लिए घातक हो सकता है, विशेष रूप से टाइप-1 डायबिटीज के लिए जो ग्लाइसेमिक नियंत्रण के लिए ग्लूकोमीटर पर भी निर्भर होते हैं। डिवाइस की मेमोरी को बेहतर बनाने और इस तरह टेस्ट स्ट्रिप्स को समायोजित करने के लिए जाँच आवश्यक है जिसमें थोड़ी अलग रासायनिक संरचना (ग्लूकोज ऑक्सीडेज – एंजाइम) हो सकती है।

यदि इस भिन्नता का समायोजन या पुन: प्रोग्राम नहीं किया गया है, तो रीडिंग गलत आ सकती है। जिन लोगों को नियमित इंसुलिन सेवन की आवश्यकता होती है, उन्हें बड़ी चिकित्सा उथल-पुथल का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, पेयरिंग भी सही ढंग से करनी होगी। एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि लगभग 16% मरीज़ों ने अपने डिवाइस को गलत कोड किया। इसके परिणामस्वरूप वास्तविक रीडिंग में लगभग +/- 30% का अंतर आया। ग़लत सेटअप के कारण इंसुलिन की अधिक खुराक भी ले ली जाती है। ये संख्याएँ ख़तरनाक हो सकती हैं इसलिए इन सभी बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

ग्लूकोमीटर स्ट्रिप चुनौतियों का समस्या निवारण – सामान्य मुद्दे और समाधान

जब भी स्ट्रिप्स का कोई नया पैक खोला जाए तो सबसे पहले एक डमी टेस्ट ज़रूर करें। शीशी/बॉक्स को स्वच्छ/ठंडे वातावरण में रखने से न केवल शुगर टेस्ट स्ट्रिप्स को ख़राब होने से बचाया जा सकता है, बल्कि इसे पर्यावरणीय हानि से भी बचाया जा सकता है। उन स्ट्रिप्स का उपयोग करने से बचें जो एक्सपायर हो चुकी है। यदि आपको दिन में कई बार अपने शुगर लेवल को जाँचने की आवश्यकता है, तो उंगलियों के बीच स्विच करें। इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि आप टेस्ट से पहले आप की उंगली बिलकुल साफ़ हो। साथ ही दोपहर/रात का खाना खाने के तुरंत बाद किया गया शुगर टेस्ट स्पष्ट रूप से हाई रीडिंग दिखायेगा। सुनिश्चित करें कि आप जाँच से पहले सही समय तक इंतज़ार करें। जैसा कि ऊपर बताया गया है, कुछ ब्लड समस्याएं भी भ्रमित करने वाले परिणाम दे सकती हैं। 

यह भी पढ़ें: डायबिटीज में वजन नियंत्रण करना क्यों है ज़रूरी?

ब्लड ग्लूकोज टेस्टिंग स्ट्रिप्स की कीमत और ग्लाइसेमिक लक्ष्य-

चाहे आप को डायबिटीज हों या बस कोई ऐसा व्यक्ति जो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक है, आपको यह समझने की आवश्यकता है कि यदि ध्यान से देखभाल नहीं की जाती है तो टेस्ट स्ट्रिप्स बेहद मुश्किल होती हैं। जब आपके ग्लाइसेमिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की बात आती है तो व्यक्तिगत स्वच्छता भी मायने रखती है।

निष्कर्ष –

डायबिटीज एक गंभीर समस्या है। इससे अक्सर भ्रम और अज्ञानता की स्थितियाँ पैदा हो सकती हैं। बिना सोचे-समझे, अनियंत्रित जाँच एक और मुद्दा है, जिसे डायबिटीज से ग्रसित लोगों को समझने की आवश्यकता है। ऐसा करना आपके ग्लाइसेमिक नियंत्रण लक्ष्यों को विफल कर सकता हैं। डिवाइस जाँच, अनुकूलता, और सही टेस्ट स्ट्रिप्स और स्टोरेज का चयन होम बीजीएम रूटीन के कुछ अहम् पहलू हैं। किसी भी कारण को नज़रअंदाज़ करने से कम और लंबे समय की चिकित्सकीय समस्याएं हो सकती हैं।

डॉ. नवनीत अग्रवाल के पास डायबिटीज विज्ञान और मोटापा नियंत्रण में 25+ वर्ष का अनुभव है। इसके अलावा, वह BeatO में मुख्य क्लीनिकल अधिकारी हैं और व्यक्तिगत केयर प्रदान करते हैं। बिना किसी देरी के अपना परामर्श बुक करें और साथ ही BeatO का सर्वश्रेष्ठ ग्लूकोमीटर आजमाएँ और अभी अपना ब्लड शुगर लेवल चैक करें।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Himani Maharshi

Himani Maharshi

हिमानी महर्षि, एक अनुभवी कंटेंट मार्केटिंग, ब्रांड मार्केटिंग और स्टडी अब्रॉड एक्सपर्ट हैं, इनमें अपने विचारों को शब्दों की माला में पिरोने का हुनर है। मिडिया संस्थानों और कंटेंट राइटिंग में 5+ वर्षों के अनुभव के साथ, उन्होंने मीडिया, शिक्षा और हेल्थकेयर में लगातार विकसित हो रहे परिदृश्यों को नेविगेट किया है।

Leave a Reply