Home  »  Blog  »  डायबिटीज बेसिक्स   »   कहीं खराब तो नहीं हो रही आपकी किडनी, किडनी फंक्शन टेस्ट से सबकुछ चल जाएगा पता: KFT Test in Hindi

कहीं खराब तो नहीं हो रही आपकी किडनी, किडनी फंक्शन टेस्ट से सबकुछ चल जाएगा पता: KFT Test in Hindi

1684 0
0
(0)

हमारे शरीर का एक बहुत ही अहम अंग किडनी होती है। इसका काम हमारे शरीर में मौजूद ब्लड से टॉक्सिक पदार्थ को फिल्टर करके बाहर निकालना है। जो पेशाब के रूप में हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है। इसके लिए किडनी का हेल्दी रहना बहुत जरूरी है। अगर किडनी में किसी तरह की कोई परेशानी होती है, तो उसका असर पूरे शरीर पर दिखाई देता है। इसलिए किडनी को हेल्दी रखना बेहद जरूर है। कई बार हमारे खराब खान-पान की वजह से किडनी रोग ग्रस्त हो जाती है, जिसके लक्षण शुरुआत में नहीं दिखाई देते हैं। इन रोगों का पता लगाने के लिए और किडनी कितनी हेल्दी है, इसे जानने के लिए किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney Function Test) किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि आपकी किडनी सही से काम कर रही है या नहीं, इस ब्लॉग में हम आपको बता रहे हैं कि किडनी फंक्शन टेस्ट यानी केएफटी (KFT Test in Hindi) क्या है। इसके तहत किस तरह के टेस्ट किए जाते हैं और इसे कब करवाना चाहिए।

Free Doctor Consultation Blog Banner_1200_350_Hindi (1)

क्या है किडनी फंक्शन टेस्ट (What is KFT Test in Hindi)

किडनी के फंक्शन को जानने के लिए दो तरह के टेस्ट होते हैं। पहला होता है मास स्क्रीनिंग, जिसमें क्रोनिक किडनी डिसीज के बारे में पता लगाया जाता है। वहीं, दूसरे कैटेगरी के टेस्ट में जब किसी में किडनी की बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो ऐसे में उनका इन डेप्थ जाकर एनालिसिस करने के लिए टेस्ट किया जाता है। बता दें कि स्क्रीनिंग टेस्च में सिर्फ यूरिन रूटीन, यूरिन एल्ब्यूमिन टू क्रिएटिनिन रेशियो और सीरम क्रिएटिनिन को चेक किया जाता है। इनसे यह पता लगता है कि किसी तरह के रोग से ग्रसित है या नहीं। इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं यूरिन रूटीन में प्रोटीन लीक हो रहा है या नहीं। इसके साथ ही पेशाब में खून आना या इंफेक्शन है या नहीं।

ये भी पढ़ें-हार्ट अटैक से बचना है तो जरूर करवाएं लिपिड प्रोफाइल टेस्ट

इसके साथ ही यूरिन एल्ब्यूमिन टू क्रिएटिनिन रेशियो से सही मात्रा में यूरीन से प्रोटीन लीक होने के बारे में पता लगाया जाता है। यह एक तरह से अनहेल्दी किडनी का इलाज है। इसमें किडनी काम किस तरह से किया जाता है, इसका पता लगाने के लिए GRF यानी ग्लोमेरुलर फिल्टरेशन रेट कैल्कुलेट किया जाता है। इसमें मरीज की उम्र, जेंडर, हाइट, साइज, वजन, प्रोटीन आदि को क्रिएटिनिन लेवल के जरिए देखा जाता है। इसके बाद जो भी GFR आता है, उसके जरिए पता चलता है कि किडनी के फंक्शन के बारे में पता चलता है।

कब करवाया जाता है किडनी फंक्शन टेस्ट

किडनी की बीमारियों के लक्षण शुरुआती स्टेज में नहीं दिखाई देती है। जिसके चलते जब मरीज अपनी परेशानी लेकर डॉक्टर के पास लेकर जाता है, जो उनका किडनी फंक्शन तकरीबन 90 फीसद तक खराब हो चुका रहता है। किडनी की कुछ ऐसी समस्याएं है जिनका पता जल्द ही पता चल जाता है। जैसे- इंफेक्शन, पथरी आदि ये सब रूटीन लक्षण जैसे पेट में दर्द, बुखार आना। इनसे किडनी को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता है, लेकिन क्रोनिक किडनी डिजीज में इसे सबसे ज्यादा नुकसान होता है, इसमें किडनी तक फेल हो जाती है। इस बीमारी का मेन कारण डायबिटीज, ब्लड प्रेशर होता है। इन दोनों बीमारियों में किडनी की समस्या शुरुआत में नहीं दिखाई है। जिसकी सही समय पर पहचान करने के लिए किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT Test) किया जाता है।

ये भी पढ़ें- ईसीजी टेस्ट बताएगा कितना हेल्दी है आपका दिल

किडनी की बीमारियों और उसके फंक्शन का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग कैटेगरी की टेस्ट की जाती है। डॉक्टर्स के मुताबिक जिनकी उम्र 30-35 वर्ष की हो गई है, उन्हें किडनी की स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। इस टेस्ट को उन लोगों को भी करवानी चाहिए, जिनके परिवार में स्ट्रोक, हार्ट की समस्या, डायबिटीज की हिस्ट्री रही हो। इसके साथ ही 25-30 की उम्र के लोगों को साल एक बार जरूर किडनी की स्क्रीनिंग करनी चाहिए। वहीं, जिनकी उम्र 40 के पार चली गई है उन लोगों को इस टेस्ट और स्क्रीनिंग जरूर करवाना चाहिए, ताकि किसी तरह की समस्या का पता चले तो इलाज सही समय पर शुरू किया जा सके।

किडनी फंक्शन टेस्ट क्या पता लगाता है (What Detect KFT Test in Hindi)

इस टेस्ट से किडनी की स्थिति को समझने में मदद मिलती है। इसे अधिकतर डॉक्टर के जरिए मरीज को KFT टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। जिससे एक्यूट रेनल फेल्योर (ARF), क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) और ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस का पता चलता है।

ये भी पढ़ें-HBsAg टेस्ट क्या है, क्यों और कैसे किया जाता है, यहां जानें सबकुछ

इन लोगों को दी जाती है टेस्ट की सलाह

  • पेशाब करने में परेशानी का सामना करना
  • किसी अज्ञात कारण के चलते शरीर में सूजन होने लगना।
  • मांसपेशियों में दर्द और ऐठन होना
  • बिना किसी कारण के अचानक वजन का बढ़ना या कम होना।
  • बार-बार उल्टी का होना

ये लक्षण के जिन लोगों में दिखाई देते है, उन्हें किडनी के फंक्शन को जानने के लिए ये टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और कोरोनरी आर्टरी रोग, हृदय रोग और अन्य पुरानी बीमारियों वाले लोगों को भी इस टेस्ट की सलाह दी जाती है। इसके अलावा डॉक्टर इसका टेस्ट करवाने के लिए उन लोगों को भी कहते हैं जिनका पारिवारिक इतिहास के मामले में नियमित रूप से ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।

ये भी पढ़ें- थायरॉइड मरीज ऐसे समझे अपनी टेस्‍ट रिपोर्ट

डायबिटीज, कीडनी की बीमारी और कार्डियक डिजीज ये तीन ऐसी बीमारियां है, जो एक दूसरे से जुड़ी हुई है। अगर इनमे से किसी एक भी बीमारी से व्यक्ति पीड़ित हो जाए तो दूसरी पर बुरा असर पड़ने लगता है। इसलिए इनसे पीड़ित लोगों को अपना खास ध्यान रखने के साथ ही नियमिनत रूप से ब्लड चेकअप की सलाह दी जाती है।

BeatO के मुख्य क्लीनिकल अधिकारी, डॉ. नवनीत अग्रवाल के साथ बेहतरीन डायबिटीज केयर प्राप्त करें। डायबिटीज में उनके 25+ वर्ष के अनुभव के साथ सही मार्गदर्शन प्राप्त करें। इसके आलावा यदि आप ग्लूकोमीटरऑनलाइन खरीदना चाह रहे हैं या ऑनलाइन हेल्थ कोच बुक करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें। Beatoapp घर बैठे आपकी मदद करेगा।

डिस्क्लेमर: इस लेख में बताई गयी जानकारी सामान्य और सार्वजनिक स्रोतों से ली गई है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा सुझाव या सलाह नहीं है। अधिक और विस्तृत जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें। BeatoApp इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

BeatO स्टाफ राइटर

BeatO स्टाफ राइटर

BeatO इन-हाउस राइटिंग टीम द्वारा प्रकाशित रचनात्मक रूप से लिखे गये सेहत संबंधी लेख।

Leave a Reply

Index