Anti-CCP टेस्ट यानी एंटीबॉडी साइक्लिक सिट्रुलिनेटेड पेप्टाइड टेस्ट को हमारे शरीर में ऑटोइम्यून डिस्ऑर्डर का पता लगाने के लिए किया जाता है. कई तरह के ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होते हैं, उनमें से एक रूमेटाइड आर्थराइटिस ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होता है, जिसे हम गठिया के रूप में जानते हैं. इस स्थिति में दर्द और सूजन की समस्या देखने को मिलती है. एंटी-सीसीपी टेस्ट (Anti CCP Test in Hindi) से रुमेटाइड आर्थराइटिस के गंभीर होने का पता चलता है. इस टेस्ट को सीसीपी एंटीबॉडीज, एंटी-सीसीपी, एंटीसिटुलिनेटिड पेप्टाइड एंटीबॉडीज और एसीपीए टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है.
ये एक ऐसी बीमारी होती है, जिसमें हमारा इम्यून सिस्टम हमारे खराब पार्टिकल्स को मारने के बजाय हेल्दी सेल्स को नुकसान पहुंचाने के साथ ही खत्म भी करने लगते हैं. इस स्थिति को ऑटोइम्यून डिसऑर्डर कहा जाता है. इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं. बाहरी खतरों से बचने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाता है, लेकिन कई बार इनमें गड़बड़ी के चलते शरीर के हेल्दी सेल्स को बाहरी समझकर उनपर ही हमला कर देता है. जिसकी वजह से व्यक्ति को ऑटोइम्यून बीमारियां होती हैं.
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ये हमारे शरीर के किसी भी टिशू पर हमला कर सकते हैं. जैसे- ब्लड, स्किन, मांसपेशियां, जॉइंट्स, थायरॉइड जैसे एंडोक्राइन ग्लैंड और पैंक्रियाज. इनपर इसका हमला होने पर यह क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. जिसकी वजह ये सही से काम नहीं भी कर सकते हैं. इसके साथ ही जिस अंग पर इनका हमला हो उनमें असमान्य रूप से वृद्धि भी देखने को मिल सकती है. इनका ही पता लगाने के लिए ही Anti-CCP टेस्ट किया जाता है.
एंटी सीसीपी टेस्ट एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है. इस टेस्ट को हमारे खून में एंटी-सीसीपी एंटीबॉडीज या साइक्लिक सिट्रुलिनेटेड पेप्टाइड की मात्रा कितनी है, ये जानने के लिए किया जाता है. इस टेस्ट के जरिए हमें गठिया जैसी बीमारी का पता चलता है. वहीं, अगर गठिया जैसी बीमारी है तो उससे कितना खतरा है इसका भी पता चलता है. इतना ही इससे यह भी पता चलता है कि भविष्य में गठिया जैसी बीमारी हो सकती है या नहीं.
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एंटी सीसीपी टेस्ट को अक्सर रूमेटाइड फैक्टर के साथ कराया जाता है. यह भी एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है, जिसे शरीर के इम्यून सिस्टम से बने प्रोटीन के बारे में जानने के लिए किया जाता है. इम्यून सिस्टम इन जर्म्स पर हमला करने के लिए एंटीबॉडी बनाता है, आपके सेल्स पर ही हमला करने लगता है. जिसकी वजह से आप बीमार हो सकते है.
बता दें कि एंटी सीसीपी टेस्ट की रिपोर्ट की नार्मल रेंज 0।5 u/ml से कम होनी चाहिए. अगर आपके टेस्ट रिपोर्ट में इससे ज्यादा दिखाई देता है तो आप पॉजिटीव है. वहीं, अगर नॉर्मल रेंज से कम हैं तो आप निगेटिव है. इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं, टेस्ट रिपोर्ट में पॉजिटीव आने का मलतब है कि व्यक्ति गठिया जैसी बीमारी का शिकार हो गया है. जिसमें उसे दर्द और सूजन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. अगर व्यक्ति का एंटी सीसीपी टेस्ट पॉजिटिव है और RF टेस्ट नेगेटिव है तो वह यह बताता है कि इंसान को गठिया जैसी बीमारी तो है, जो या तो शुरुवाती स्टेज में है या फिर आगे चलकर वह इसका रोगी हो सकता है. वहीं अगर निगेटिव है तो उसे गठिया जैसी बीमारी नहीं है.
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एकस्पर्ट्स के मुताबिक इंसान के शरीर में एंटी सीसीपी की बहुत कम मात्रा में पाई जाती है, लेकिन जब उसे गठिया जैसी बीमारी होती है तो इंसान के शरीर में इसकी ज्यादा मात्रा में प्रोड्कशन करने लगती है, जिससे एंटी-सीसीपी की मात्रा बढ़ जाती है इसके साथ ही इंसान की समस्या भी बढ़ जाती है.
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एंटी सीसीपी टेस्ट उन लोगों के लिए बहुत जरूरी है जो गठिया जैसी बीमारी से पीड़ीत है. यह टेस्ट बीमारी का पता लगाने से लेकर उसका इलाज करने तक में मदद करता है. इसके साथ ही वह किस स्टेज में है और कितना ठीक हुआ है, इसके बारे में भी पता चलता है. अगर आपको जोड़ों में दर्द, सूजन, सुबह के समय जकड़न, बुखार, थकान और कमजोरी जैसे लक्षण महसूस हो तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेकर इस टेस्ट को जरूर करवाना चाहिए.
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