वजन नियंत्रण हमेशा से ही स्वस्थ जीवन का एक अहम हिस्सा रहा है,क्योंकि मोटापा मानव शरीर की मेटाबोलिक गतिविधियों को तो प्रभावित करता ही है साथ ही यह डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को भी बढ़ावा देता है। खास कर टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों को वजन घटाने से लाभ मिल सकता हैं। अध्ययनों से पता चला है कि 2% वजन घटाने से भी शुगर लेवल में महत्वपूर्ण सुधार होता है। हालाँकि, ध्यान दे कि यदि आप इंसुलिन या डायबिटीज की दवाएँ ले रहे हैं, तो आपको वजन घटाने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले अपने हेल्थ कोच और डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। ग्लूकोज स्तर की रोज जाँच करने के लिए आपको ग्लूकोमीटर की भी ज़रुरत होती है। चिकित्सकीय देखरेख और ज़रूरी डिवाइस के बिना, आपका वजन मैनेज करना मुश्किल हो सकता है।
सबसे पहले, आपको वजन मैनेजमेंट के महत्व को समझने की जरूरत है कि कैसे बढ़ता वजन आप के लिए समस्या बन सकता है। यहाँ डायबिटीज की समस्या के साथ सही वजन बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण और सुरक्षित उपाय दिये गये हैं।
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अगर आपको टाइप-2 डायबिटीज है, तो आप के 5% वजन कम करने से आप के शुगर लेवल में सुधार होना शुरू हो सकता है। इसका मतलब है कि आपकी रोज़ाना की दवाओं की खुराक कम हो जाएगी। साथ ही बेहतर मूड और कई प्रतिबंधों से मुक्ति मिलेगी। दूसरी ओर, अगर आपको टाइप-1 डायबिटीज है, तो वजन कम करने से बार-बार इंसुलिन इंजेक्शन/सेवन से आप को राहत मिलेगी। यह आपको कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रखने में भी मदद करेगा।
आपको यह समझने की ज़रूरत है कि मोटापा एक जोखिम कारक है और यह केवल डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाने वाला कारक ही नहीं है। शरीर के वजन को प्रबंधित करने से हाई शुगर लेवल के स्तर का खतरा कम हो जाता है और साथ ही डायबिटीज को पूरी तरह ठीक(डायबिटीज रिवर्सल) या नियंत्रित रखता है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि डायबिटीज का एक मात्र कारण केवल मोटापा नहीं है। हालाँकि, सामान्य तौर पर वजन और डायबिटीज के कई आम दुश्मन भी हैं। इनमें पेंक्रिएटिक बीटा सेल्स द्वारा दोषपूर्ण इंसुलिन उत्पादन, इंसुलिन प्रतिरोध, कंप्राइस्ड सेलुलर प्रक्रियाएं और असंतुलित फैटी एसिड मेटाबोलिज्म शामिल हैं। इसके अलावा, मोटापा और उसका हिस्सा (खास कर कमर या ऊपरी शरीर के आसपास) स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है जो कि हाइपरइन्सुलिनमिया (अत्यधिक इंसुलिन का मौजूद होना और एक संभावित टी2डी मार्कर) को बढ़ावा देता है इसलिए, डायबिटीज में बढ़ते वजन को नजरअंदाज करना या अस्वीकार करना इस समस्या को गंभीर बना सकता है।
स्वस्थ वजन मैनेजमेंट के माध्यम से डायबिटीज मार्करों को मैनेज करना या सुधार करना मुश्किल या ज़्यादा समय लेने वाला हो सकता है और एक सही स्वास्थ्य लक्ष्य तक पहुंचने से पहले रणनीतियों का बनाना ज़रूरी है।
वजन को नियंत्रित करने का सबसे आसान तरीका कैलोरी का कम सेवन करना है। उदाहरण के लिए, आप अपने कैलोरी सेवन को 10% से 15% तक कम करके इस की शुरुआत कर सकते हैं। इसके बजाय आपको जिन स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए वे हैं:
आपको यह भी समझने की ज़रूरत है कि आगर आपके वजन मैनेजमेंट प्रोग्राम में फिटनेस/व्यायाम भी शामिल है, तो कैलोरी स्रोत, साथ ही उनका सेवन भी उस के आधार पर अलग-अलग होंगे। किसी भी काम की तरह वजन प्रबंधन भी आसान नहीं है। यह समर्पण और अनुशासन की मांग करता है। निम्नलिखित उपाय आपको अपने वजन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेंगे और आप की डायबिटीज को भी।
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ऐसा लक्ष्य निर्धारित करें जिसे हासिल करना आसान हो। अपने कैलोरी सेवन में कटौती करें और अपने वर्कआउट का समय बढ़ाएँ। समय के साथ कैलोरी का सेवन और कम करें, साथ ही अपनी फिटनेस को भी आसान बनाएं। आप को अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है, भले ही वे छोटे ही क्यों न हों। कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि पहली असफलता काफी मुश्किल होती है जिस कारण ज़्यादातर लोग कभी वापसी नहीं करते। इसलिए, शुरुआत में ही सफल होना ज़रूरी है। शुरुआती सफलता आत्मविश्वास को बढ़ाती है। लंबे समय में, आप डायबिटीज को उलट भी सकते हैं। फिर आपको ग्लुकमीटर और स्ट्रिप्स की ही आवश्यकता होगी।
वजन मैनेजमेंट का एक जादुई उपकरण जीआई डाइट है। यह न केवल वजन को व्यवस्थित रूप से कम करने में मदद करता है बल्कि शुगर लेवल में भी सुधार करता है। जीआई डाइट के लिए आपको अपने हेल्थ कोच के साथ-साथ अपने डायबिटीज एक्सपर्ट्स की मदद की ज़रूरत होगी। आपको कैलोरी सेवन और उसके स्रोतों के महत्व को समझने की ज़रूरत है। आपको बिना स्टार्च वाली सब्जियां जैसे गाजर, ब्रोकोली, साग, और साबुत गेहूं, जई, कॉर्नमील जैसे अनाज और चिकन, मछली और अंडे जैसे कम वसा वाले प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं है कि आपको स्टार्चयुक्त और कार्ब वाली चीज़ों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देना चाहिए। आपको अपनी खाने की थाली में खाने की मात्रा को सीमित करना होगा। आख़िर में, मीठी ड्रिंक्स से दूर रहें जो कई रूपों में उपलब्ध हैं: जैसे एनर्जी और कोल्ड ड्रिंक्स । यदि आप ड्रिंक्स के शौकीन हैं, तो वह ड्रिंक्स चुनें जिसमें 0% शुगर हो।
नियंत्रित और ध्यान से खाना वजन मैनेजमेंट रणनीति के दो अलग-अलग मनोवैज्ञानिक घटक हैं। जिसका अर्थ है कि यदि आप अपने खाने को एक छोटी प्लेट में और अपनी डाइट के अनुसार कार्ब्स, फैट और प्रोटीन से भरपूर लेते हैं, तो खाना खा के संतुष्टि होगी, जो एक भरी हुई खाने के समान होगी। दूसरी ओर, माइंडफुल ईटिंग का मतलब अपने शरीर और दिमाग को सुनना है। दिमाग अक्सर बोरियत, तनाव या अकेलेपन के कारण भूख पैदा करता है। इन झूठे ट्रिगर्स से बचना ही माइंडफुल ईटिंग कहलाता है। वजन बढ़ाने वाले कुछ खाद्य पदार्थों को नज़रअंदाज़ करना भी इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बार-बार वजन करना और किसी विश्वसनीय डायबिटीज डिवाइस की मदद से शुगर लेवल की जाँच करना भी अच्छा है।
जैसा कि पहले बताया गया है, वजन मैनेजमेंट एक मुश्किल काम है। डायबिटीज से परेशान कई लोगों और अपना वजन कम करने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए यह आम बात है कि वे उस स्थिति तक पहुंच जाते हैं जहां उनके लिए कुछ भी काम नहीं करता है। सही डाइट का पालन करने के बावजूद, वजन कम नहीं होता है। अध्ययनों से पता चला है कि आम तौर पर कम कैलोरी वाले खाने के 6 महीने बाद लक्ष्य प्राप्ति का अनुभव होता है, जो संयोगवश कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक रह सकता है। विचार यह है कि आप को बिना रुके आगे बढ़ना है। वजन कम करने की प्रक्रिया में आप कुछ चीजें कर सकते हैं:
नियमित वर्कआउट और दवाओं के अलावा वजन मैनेजमेंट उच्च जीआई इंडेक्स को संबोधित करने का एक चिकित्सकीय रूप से सिद्ध तरीका है। वजन और डायबिटीज के बीच सही संतुलन बनाए रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके लिए मेडिकल सुपरविजन और डायबिटीज एक्सपर्ट के सहयोग की आवश्यकता है। साथ में, ये प्रोफेशनल आपको वजन संबंधी समस्याओं से निपटने में मदद कर सकते हैं और इस तरह आप ग्लाइसेमिक इंडेक्स लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। वजन मैनेजमेंट कई स्वास्थ्य समस्याओं का भी समाधान हो सकता है।
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