हार्ट से जुड़ी बीमारियों का पता लगाता है इको टेस्ट, कब करवानी चाहिए जांच?

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इको टेस्ट या इकोकार्डियोग्राम मतलब अल्ट्रासाउंड टेस्ट है। इस टेस्ट के जरिए दिल की धड़कन और हार्ट द्वारा ब्लड पंप करने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलती है। इस टेस्ट में ध्वनि तरंगों का प्रयोग किया जाता है, जो हार्ट से टकारने के बाद एक चलती हुई तस्वीर बन जाती है। यह टेस्ट हार्ट से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने में भी मदद करता है। इको टेस्ट में हार्ट का आकार, हार्ट की दीवारों की हलचल, हार्ट की दीवारों की मोटाई, हार्ट की पंपिंग ताकत, दिल के वाल्वों का काम, हार्ट के वाल्व के जरिए रक्त का रिसाव, हार्ट वाल्व के आसपास संक्रामक वृद्धि और ट्यूमर जैसे प्रमुख मापदंडों का मूल्यांकन किया जाता है।

इको टेस्ट के जरिए ह्रदय की मांसपेशी का सामान्य रूप से हलचल, प्रत्येक धड़कन के साथ पर्याप्त रक्त पंप, ह्रदय का आकार, ह्रदय का वाल्व सामान्य रूप से कामकाज और दिल के चारों ओर जमे तरल को जानने में मदद मिलता है। इको टेस्ट के जरिए हार्ट अटैक, हार्ट के वाल्व और कक्षों से संबंधित समस्याएं, भ्रूण इकोकार्डियोग्राम (जन्मजात ह्रदय दोष) जैसी कार्डियक समस्याओं का पता लगाया जा सकता है।

इको टेस्ट कैसे किया जाता है?

इको टेस्ट करने के लिए मरीज को एक विशेष तरह का गाउन पहनाया जाता है और उसे बायीं करवट की तरफ लेटने को कहा जाता है। कार्डियक सोनोग्राफर या तकनीशियन मरीज के सीने पर थोड़ा सा जैल लगाता है। यह जेल ध्वनि तरंगों को मशीन से शरीर में भेजता है। फिर अल्ट्रासाउंड डिवाइस को मरीज के सीने पर रखा जाता है, ताकि यह डिवाइस तेज ध्वनि तरंगें भेजती रहें। इसके साथ ही यह ध्वनि दिल से टकराकर गूंज पैदा करती है। और इन गूंजों के मदद से ह्रदय की तस्वीर बन जाती है। इस पूरे प्रकिया में लगभग 40 से 60 मिनट का समय लगता है। ह्रदय की तस्वीर के जरिए ह्रदय में खून का थक्का जमना, दिल की थैली में द्रव जमना, मुख्य धमनी से जुड़ी कई समस्याओं का पता लगाने में मदद मिलती है।

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अगर डॉक्टर को ह्रदय के कुछ भागों को अधिक देखने की जरूरत होती है तो वह गले से अल्ट्रासाउंड को नीचे उतार सकते हैं। इस प्रक्रिया को ट्रांसईसोफैजियल इकोकार्डियोग्राफी कहा जाता है। इस टेस्ट को करने से पहले डॉक्टर गले को सुन्न करते हैं और इसके लिए एक दवाई देते हैं। साथ ही शिथिल बने रहने में भी दवाई दी जाती है।

इको टेस्ट हार्ट से संबंधित इन समस्याओं के लिए किया जाता है:

  • हार्ट के ह्रदय वाल्व (blood vessels) से संबंधित समस्या
  • पेरीकार्डियम (दिल की बाहरी पारत) से संबंधित समस्या
  • हार्ट में कक्षों (chambers) के बीच होल की उपस्थिति
  • हार्ट में कक्षों में खून का जमना

इको टेस्ट से पहले इन बातों का रखें ख्याल:

वैसे तो इको टेस्ट से पहले किसी प्रकार की कोई खास तैयारी नहीं करनी होती है, लेकिन कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। अगर आप किसी प्रकार की दवा का सेवन कर रहे हैं तो इको टेस्ट से पहले अपने डॉक्टर को जरूर बताएं। टेस्ट होने के 4 घंटे पहले तक पानी के सिवा कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए। टेस्ट होने से 24 घंटे पहले तक कैफीनयुक्त किसी भी खाद्य या पेय पदार्थ का सेवन करने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि कैफीन के पास टेस्ट रिजल्ट को प्रभावित करने की क्षमता होती है। ह्रदय से संबंधित दवा लेने वाले लोगों को अपने डॉक्टर से उचित परामर्श के बाद ही इको टेस्ट कराना चाहिए। जिन्हें पेसमेकर लगा हुआ है तो वे भी बिना डॉक्टर के उचित परामर्श के इको टेस्ट करा सकते हैं।

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इको टेस्ट के दौरान क्या करना चाहिए:

इको टेस्ट के दौरान किसी भी प्रकार के आभूषण को नहीं पहनने की सलाह दी जाती है। ये आभूषण इको टेस्ट की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। कई बार इको टेस्ट के दौरान कमर के ऊपर के कपड़े उतारने के लिए भी कहा जाता है। टेस्ट करने के दौरान मरीज को बायीं तरफ पीठ के बल लेटने के कहा जाता है। इसके बाद ह्रदय की इलेक्ट्रिक गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए सीने पर इलेक्ट्रोडेस लगाए जाते हैं। सीने पर जैल लगाया जाता है। फिर जैल पर ट्रांसड्यूसर को रखा जाता है और उसे जैल पर चारों तरफ घुमाया जाता है, ताकि अलग-अलग एंगल से ह्रदय की तस्वीरें ली जा सके। जिन लोगों को ट्रांसड्यूसर से कोई दिक्कत होगी तो वे अपने डॉक्टर को बताकर इसे हटाने के लिए कह सकते हैं। टेस्ट के दौरान मरीज को सांस रोकने, गहरी सांस लेने या नाक के द्वारा छींकने लिए कहा जाता है।

इको टेस्ट के बाद क्या करना चाहिए:

वैसे तो इको टेस्ट के बाद किसी प्रकार के कोई विशेष देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि, टेस्ट के बाद डॉक्टर अतिरिक्त सावधानी बरतने को कह सकते हैं। इस टेस्ट के रिजल्ट को ध्यान में रखते हुए अगले कुछ महीनों में डॉक्टर फिर से इको टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं या अन्य टेस्ट जैसे नैदानिक टेस्ट, सीटी स्कैन आदि कराने पड़ सकते हैं। इको टेस्ट रिजल्ट के बाद अगर आपको ह्रदय दोष, दिल की मांसपेशियों में क्षति, पंप करने की क्षमता में कमी और हार्ट वाल्व से संबंधित समस्याएं दिखती हैं तो कार्डियोलोजिस्ट के पास जाना चाहिए। कार्डयोलोजिस्ट दिल के विशेषज्ञ डॉक्टर होते हैं।

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इको टेस्ट कब करवाना चाहिए?

  • दिल की संबंधित बीमारियों से जुड़ा कोई लक्षण होने पर आप इको टेस्ट करा सकते हैं। इको टेस्ट के जरिए डॉक्टर को पता चलता है कि आपको ह्रदय से जुड़ी कौन सी बीमारी है, ताकि उसके निदान के लिए उचित परामर्श दिया जा सके।
  • अगर स्टीथोस्कोप के दौरान दिल की धड़कन की आवाज में कुछ असामान्यता महसूस होती है तो आपको डॉक्टर इको टेस्ट कराने को कह सकते हैं।
  • सीने में दर्द और सांस फूलने जैसी समस्याओं पर इको टेस्ट किया जा सकता है।
  • अगर आपके दिल की धड़कनें की अनियमित हैं तो डॉक्टर आपको इको टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

सवाल: भारत में इको टेस्ट की कीमत कितनी है?

जवाब: भारत में इको टेस्ट की कीमत 1000 से 2000 रुपये है।

सवाल: क्या इको टेस्ट दर्दनाक होता है?

जवाब: इको टेस्ट दर्द रहित, सरल और सुरक्षित होता है।

सवाल: क्या इको टेस्ट का कोई दुष्प्रभाव पड़ता है?

जवाब: इको टेस्ट का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। अल्ट्रासाउंड डिवाइस से किए गए इको टेस्ट से कोई तकलीफ नहीं होती है। अगर अल्ट्रासाउंड डिवाइस को आपके गले से नीचे उतारा जाता है तो हो सकता है कि आपका दम घुटे। इस दौरान गले को सुन्न करने के लिए दवाई दी जाती है। जांच के बाद आपको गले में थोड़ा दर्द हो सकता है।

सवाल: क्या इको टेस्ट खाली पेट करा सकते हैं?

जवाब: हां, इको टेस्ट कराने के लिए आपको खाली पेट रहने की कोई जरूरत नहीं है।

सवाल: इको टेस्ट में कितना समय लगता है?

जवाब: इको टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करने में 40 से 60 मिनट लग जाते हैं।

सवाल: क्या इको टेस्ट के जरिए दिल में ब्लॉकेज की पहचान हो सकती है?

जवाब: नहीं, इको टेस्ट के जरिए ह्रदय में ब्लॉकेज की पहचान नहीं हो पाती है।

सवाल: क्या इको टेस्ट वाले दिन धूम्रपान किया जा सकता है?

जवाब: जिस दिन आपका इको टेस्ट होने वाला है उस दिन धूम्रपान से परहेज करना चाहिए।

सवाल: इको टेस्ट कराने की जरूरत कब पड़ती है?

जवाब: दिल की घबराहट, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, चक्कर आना या भ्रम आना, कमजोरी, थकान, तेज पल्स जैसी समस्याओं के सामाधान के लिए इको टेस्ट कराने की जरूरत पड़ती है।

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Anand Kumar

आनंद एक पत्रकार होने के साथ-साथ कंटेट राइटर भी हैं। फिलहाल वह BeatO पर हेल्थ से जुड़े विषयों पर लिख रहे हैं। उन्होंने कई मीडिया संस्थानों के साथ काम किया है। उनके पास मीडिया में काम करने का 4 साल से ज्यादा का अनुभव है। उन्होंने राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर ग्राउंड रिपोर्टिंग के साथ-साथ विभिन्न प्लेटफार्मों के लिए कई लेख भी लिखे हैं।