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एफएनएसी टेस्ट से शरीर में गांठ के बारे में मिलती है ये खास जानकारी

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हमारी खराब लाइफस्टाइल और उम्र बढ़ने के साथ शरीर में छोटे-छोटे गांठ होने लगते हैं। इस गांठ को नजरअंदाज करना आपके स्वास्थ्य के लिए भारी पड़ सकता है। ये गांठ आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकते हैं। कई बार हमारे शरीर के बाहर अंगों जैसे गले या स्तन में गांठ बन जाती है। ऐसे मामलों में डॉक्टर एफएनएसी (फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी) टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। एफएनएसी टेस्ट कैंसर, संक्रमण और सूजन जैसी कई समस्याओं का निदान करने का एक तेज और सस्ता तरीका माना जाता है। हमारे शरीर में इस टेस्ट का प्रयोग अल्सर का पता लगाने के लिए भी करते हैं।

आपको बता दें कि इस टेस्ट में एक सुई का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर के टिशु की एक छोटी मात्रा लेता है फिर उसकी जांच की जाती है। थायराइड रोग, लार ग्रंथि रोग और लिम्फ नोड रोग जैसी बीमारियों के निदान के लिए भी इस टेस्ट का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा साइटोलॉजिकल असामानताओं वाले मरीजों की जांच के लिए भी इस टेस्ट का प्रयोग किया जाता है।

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एफएनएसी टेस्ट अपेक्षाकृत सस्ता होता है और इसे जल्दी किया जा सकता है। यह सही समय पर परिस्थितियों का निदान करने के लिए एक उपयोगी उपकरण के तौर पर काम करता है। एफएनएसी टेस्ट डायग्नोस्टिक प्रक्रियाओं की तुलना में कम आक्रामक होता है जैसे बायोप्सी। बायोप्सी का विशेलषण करने के लिए टिशू का एक बड़ा नमूना निकाला जाता है।

इन बीमारियों के लिए FNAC टेस्ट किया जाता है:

  • ट्रांसमिसिबल स्पॉन्जिफॉर्म एन्सेफैलोपैथी (टीएसई)
  • ग्रैनुलोमेटस लिम्फैडेनाइटिस (जीएलएल)
  • लिम्फोमा
  • तपेदिक (टीबी)

एफएनएसी टेस्ट कराने के लिए इन खास बातों का रखें ध्यान:

  • अगर आप किसी दवा का सेवन करते हैं तो इस जांच से पहले अपने डॉक्टर को जरूर उस दवा के बारे में सूचित करें और उनसे उचित परामर्श लेने के बाद ही आप यह टेस्ट कराएं।
  • टेस्ट कराने वाले दिन आप आरामदायक कपड़े पहन के जाएं।
  • अगर आप कोई ऐसी दवा ले रहे हैं जो खून के धक्के को प्रभावित कर सकती हैं तो अपने डॉक्टर को इसके बारे में जरूर बताएं।
  • टेस्ट के दौरान डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी दिशा निर्देशों का पालन करें।

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कैसे किया जाता है एफएनएसी टेस्ट?

एफएनसी टेस्ट कराने से पहले आपको गांठ के बारे में अपने डॉक्टर को कुछ जानकारी देनी होती है। आपको अपने डॉक्टर से बताना होगा कि गांठ किस जगह पर है , क्या आपको वहां दर्द होता है या नहीं, गांठ के भारीपन का एहसास होता है या नहीं। इसके बाद डॉक्टर उसे जगह को देखते हैं जहां आपको गांठ होता है।

यह जानकारी लेने के बाद डॉक्टर एफएनएसी टेस्ट की प्रक्रिया शुरू करते हैं। अगर गांठ स्पर्श के लायक होता है तो उस जगह के आसपास की जगह को डॉक्टर दबाकर सुई लगाने के लिए एक सही जगह ढूंढते हैं। वहीं, अगर गांठ स्पर्श नहीं कर पाता है तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करते हैं, जिससे उन्हें उस जगह के बारे में पता चलता है जहां सुई लगानी होती है।

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एक सिरिंज की शरीर से थोड़ी मात्रा में टिशु निकाला जाता है, जिसे जांच के लिए अलग स्लाइड पर रखा जाता है और फिर उस सैंपल को टेस्ट के लिए भेज दिया जाता है। इसके बाद एनएफसी टेस्ट की रिपोर्ट दो या तीन दिन बाद आ जाती है।

एफएनएसी टेस्ट के रिजल्ट क्या बताते हैं?

एफएनएसी टेस्ट के रिजल्ट संदिग्ध ट्यूमर और गांठ से लिए गए कोशिकाओं के बारे में जानकारी देते हैं। इससे यह पता चलता है कि गांठ सौम्य (गैर-कैंसरयुक्त) है, घातक (कैंसरयुक्त) या संदेहजनक है। जब एफएनएसी टेस्ट के रिजल्ट सौम्य में आते हैं तो इसका मतलब है कि कोशिकाएं सामान्य और खैर-घातक प्रतीत होती हैं। जब एफएनएसी टेस्ट का रिजल्ट घातक के रूप में आता है तो इसका मतलब कोशिकाएं असामान्य हैं और कैंसर होने की संभावना है। वहीं, जब एफएनएसी टेस्ट का रिजल्ट संदेहजनक आता है तो कोशिकाएं असामान्य दिखती हैं और इसके लिए उनका और मूल्यांकन करने की आवश्यकता है, ताकि पचा चल सके कि वे घातक हैं या नहीं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

सवाल: किसे एफएनएसी टेस्ट कराना चाहिए?

जवाब: अगर आपके शरीर के स्तन, गर्दन में उभार या सूजन होती है तो आपको एफएनएसी टेस्ट कराने की जरूरत होती है। इससे यह पता चलता है कि सूजन कैंसर है या नहीं। इसके अलावा इसी प्रकिया के जरिए आपके अंदर थायरॉयड, लार ग्रंथि और लिम्फ नोड विकारों का भी टेस्ट किया जाता है।

सवाल: एफएनएसी टेस्ट कितना दर्दनाक होता है?

जवाब: एफएनएसी टेस्ट के दौरान सुई लगाते समय थोड़ा सा दर्द महसूस हो सकता है। हालांकि, अगर कोई मरीज जिसे गंभीर रूप से कोई परेशानी है उसे जांच कराने से पहले अपने डॉक्टर से उचित परामर्श लेने की जरूरत है। कई मामलों में जब मरीज के द्वारा पीड़ा असहनीय हो जाती है तो उसे टेस्ट से पहले एनेस्थीसिया दिया जाता है।

सवाल: एफएनएसी टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आने का मतलब?

जवाब: एफएनएसी टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आने का मतलब यह है कि यह आवश्यक रूप से कैंसर का संकेत नहीं देता है। ऐसे में डॉक्टर आपके मेडिकल इतिहास, शिकायत, संकेत और लक्षण देखने के आधार पर और टेस्टों को करवाने का निर्देश दे सकते हैं।

सवाल: क्या एफएनएसी टेस्ट से पहले खाली पेट रहना जरूरी है?

जवाब: वैसे तो यह टेस्ट बहुत ही सामान्य होता है। इसके लिए किसी खास तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। टेस्ट कराने से पहले खाली पेट रहने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, आप अगर किसी गंभीर बीमारी का दवा ले रहे हैं तो इस टेस्ट को कराने से पहले अपने डॉक्टर से उचित परामर्श जरूर लें।

सवाल: क्या एफएनएसी टेस्ट गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित होता है?

जवाब: आमतौर पर यह टेस्ट गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित होता है। हालांकि, इस टेस्ट को कराने से पहले आपको अपने डॉक्टर से उचित परामर्श लेने की जरूरत है।

सवाल: क्या एफएनएसी टेस्ट से कैंसर फैलता है?

जवाब: इस टेस्ट के ज्यादातर मामलों में कैंसर तो नहीं फैलता, लेकिन हां कुछ अपवाद है और ये मामले दुर्लभ होते हैं।

सवाल: अगर एफएनएसी टेस्ट का रिजल्ट निगेटिव आता है क्या होगा?

जवाब: अगर एफएनएसी टेस्ट का रिजल्ट निगेटिव आता है तो डॉक्टर कैंसर की संभावना से इनकार करते हैं, लेकिन आगे के परीक्षण और गांठ या सूजन को कैंसर में बदलने से पहले इसे हटाने की सलाह देते हैं।

सवाल: क्या एफएनएसी टेस्ट के जरिए लिम्फोमा के बारे में पता चलता है?

जवाब: एफएनएसी टेस्ट के माध्यम से लिम्फोमा का पता चल सकता है। यह टेस्ट लिम्फ नोड दुर्दमताओं के सामाधान के लिए सहायक और सबसे सटीक होता है। इससे प्राथमिक कैंसर के बारे में पता चलने की संभावना रहती है। लिम्फ नोड्स में मेटास्टैटिक ट्यूमर का पता लगाने का यही टेस्ट एकमात्र जरिया होता है।

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डिस्क्लेमर: इस लेख में बताई गयी जानकारी सामान्य और सार्वजनिक स्रोतों से ली गई है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा सुझाव या सलाह नहीं है। अधिक और विस्तृत जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें। BeatoApp इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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Anand Kumar

Anand Kumar

आनंद एक पत्रकार होने के साथ-साथ कंटेट राइटर भी हैं। फिलहाल वह BeatO पर हेल्थ से जुड़े विषयों पर लिख रहे हैं। उन्होंने कई मीडिया संस्थानों के साथ काम किया है। उनके पास मीडिया में काम करने का 4 साल से ज्यादा का अनुभव है। उन्होंने राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर ग्राउंड रिपोर्टिंग के साथ-साथ विभिन्न प्लेटफार्मों के लिए कई लेख भी लिखे हैं।

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