फल, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स का एक बड़ा स्रोत होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं। यह सलाह दी जाती है कि फलों का सेवन बढ़ाने से टाइप 2 डायबिटीज़ के साथ कई बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है। लेकिन ब्लड शुगर लेवल को तेज़ी से बढ़ने से रोकने के लिए डायबिटीज़ रोगियों को उन फलों का सेवन कम करना चाहिए जिन में “जीआई” की मात्रा ज्यादा होती है।
मधुमेह रोगियों के लिए फल
फलों को संतुलित और हेल्दी डाइट का एक एहम हिस्सा मन जाता है। वे आदर्श हेल्दी स्नैक हैं क्योंकि फल न सिर्फ विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं, बल्कि बहुत से फल ऐसे भी होते है जिन में कम कैलोरी होती है।
लेकिन यह भी ध्यान देने वाली बात है कि फलों में चीनी की मात्रा भी ज्यादा होती हैं। ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकने के लिए, डायबिटीज़ रोगियों को अपने चीनी के सेवन की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए। वास्तव में, कुछ फल, उनके उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण, डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए “हानिकारक” माने जाते हैं।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स क्या है?
जीआई स्केल मूल्यांकन करता है कि कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ (फ़ूड प्रोडक्ट) का सेवन करने पर वह कितनी जल्दी आपके ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करते हैं। हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले फ़ूड प्रोडक्ट खाने से ब्लड शुगर लेवल एक दम बढ़ जाता है।
मधुमेह रोगियों को किन फलों से बचना चाहिए?
ऐसा नहीं है कि कम जीआई वाली सभी चीज़े हेल्दी होती हैं, और हाई जीआई वाली खाने की सभी चीज़े अनहेल्दी होती हैं। उदाहरण के लिए, हाई जीआई वाली खाने की चीजों में तरबूज और कभी-कभी अजमोद शामिल होते हैं, जबकि कम जीआई आइटम में चॉकलेट केकशामिल होते है।
हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के बावजूद, तरबूज के प्रति भाग (120 ग्राम) में कम ग्लाइसेमिक लोड होता है, इसलिए यह ब्लड शुगर लेवल को ज्यादा प्रभावित नहीं करता क्योंकि तरबूज में ज्यादातर पानी होता है और इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अपेक्षाकृत कम होती है। फिर भी, इस का सेवन संतुलन में ही किया जाना चाहिए। तरबूज का सेवन कच्चा, उबालकर या जूस बनाकर ही करना चाहिए, लेकिन उस में एक्स्ट्रा चीनी मिला कर उस का सेवन बिलकुल न करे।
ताजे फलों में शुगर होती है, लेकिन वे “फ्री” शुगर नहीं होते हैं। एडेड शुगर के साथ-साथ शहद, सिरप, फूलों के रस, और बिना मीठे फलों और सब्जियों के रस में पाए जाने वाली चीनी को “फ्री शुगर” कहा जाता है। फ्रुक्टोज, ताजे फलों में पाई जाने वाली चीनी का व्यक्ति के ब्लड शुगर या इंसुलिन के लेवल पर कम असर पड़ता है।
हाई-जीआई फलों में केला, संतरा, आम, अंगूर, किशमिश, खजूर और नाशपाती शामिल हैं। जितना हो सके इन फलों के रस से बचें.अगर आप फलों का रस न निकाल कर उन्हें वैसे ही खाएं तो वो ज्यादा फायदेमंद होता हैं और इनमें ज्यादा फाइबर भी होता है। अगर आप डिब्बाबंद ( पैक्ड ) फलों का रस खरीदते भी है, तो लेबल पर “शुगर फ्री या एक्स्ट्रा लाइट” या “कोई चीनी नहीं मिलाई गई” शब्द ज़रूर देखें। ऐसे फलों से बचें जो जमे हुए हैं या मोटी चाशनी में पैक्ड हैं।
टाइप 2 डायबिटीज़ को मैनेज करने के लिए अपनी डाइट में कम जीआई वाले फलों को शामिल करें। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फलों में चेरी, प्रून, अंगूर, सूखे खुबानी, आड़ू, सेब, स्ट्रॉबेरी, आलूबुखारा, अमरूद, पपीता, कीवी, अनानास और अंजीर शामिल हैं।
फल एक संतुलित आहार का ज़रूरी हिस्सा है, और एक डायबिटीज़ रोगी को आम तौर पर इससे बचना नहीं चाहिए। जब तक कि यह आप के दैनिक आहार योजना के कार्बोहाइड्रेट “बजट” के अंदर फिट बैठता है और किसी व्यक्ति को फलों से एलर्जी नहीं होती है। डायबिटीज़ वाले लोग अपनी पसंद का कोई भी फल खा सकते हैं बशर्ते फलों को लेते हुए उस का कम हिस्सा, यानि उसे सिमित मात्रा में ही ले।
हालांकि, सूखे मेवों का आकार छोटा होता है, लेकिन उनमें अक्सर फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। लगभग 2 बड़े चम्मच किशमिश या सूखे चेरी में 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट मौजूद होते हैं। तो उसी तरह समान मात्रा में कार्बोहाइड्रेट लेने के लिए आप एक छोटा पूरा फल भी खा सकते हैं।
लो (निम्न) जीआई वाले फ़ूड प्रोडक्ट ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में बनाये रखने के लिए बेहतर होते हैं क्योंकि वे हाई जीआई फ़ूड प्रोडक्ट की तुलना में ज्यादा धीरे-धीरे पचते हैं और इसलिए उन के सेवन से ब्लड शुगर लेवल के तेज़ी से बढ़ने की संभावना कम होती है।