शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा लिवर यानी पाचन तंत्र होता है. जिसमें हल्की सी भी समस्या आने पर इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है. इसमें कई बार सूजन हो जाती है, जिसे हेपेटाइटिस कहा जाता है. जो वायरल इन्फेक्शन, शराब और दवाओं के अधिक सेवन और कई अन्य मेडिकल कंडीशन के कारण देखने को मिलते हैं. समय रहते अगर इसका इलाज नहीं करवाया जाए तो लिवर में हेपेटाइटिस के कारण क्रोनिक लिवर डिजीज, लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इन खतरों से बचने के लिए और हेपेटाइटिस-B बीमारी का पता लगाने के लिए HBsAg टेस्ट (Hepatitis B surface antigen) किया जाता हैं. हम यहां पर बता रहे हैं कि HBsAg Test क्यों किया जाता है. वहीं, अगर आपका टेस्ट पॉजीटीव है तो आपको क्या करना चाहिए.
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HBsAg टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति को काफी पहले से या हाल में हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) से संक्रमित हुआ है या नहीं. इसे आप इस तरह से भी समक्ष सकते हैं कि इस टेस्ट का इस्तेमाल ब्लड में हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीजन का पता लगाने के लिए किया जाता है. इस टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि किस वायरस के जरिए आप हेपेटाइटिस बी के शिकार हुए है या आप उससे पहले से संक्रमित है. अगर इस टेस्ट में स्पेसिफिक एंटीबॉडी पाए जाते हैं, तो इसका मतलब होता है कि व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी संक्रमण है.जो बताता है कि आपका एचबीएसएजी टेस्ट (HBsAg Test in hindi) पॉजिटीव है.
HBsAg टेस्ट को हेपेटाइटिस बी वायरस का पता लगाने के लिए किया जाता है. ताकि इसे दूसरों में फैलने से रोका जा सकें. दरअसल हेपेटाइटिस बी से संक्रमित है उनसे रक्त या शरीर के तरल पदार्थों के जरिए से दूसरों तक पहुंच सकता है. हेपेटाइटिस बी वायरल संक्रमण का सही समय पर पता लगाने और उसकी दवा शुरू करने के लिए HBsAg टेस्ट को किया जाता है. वहीं इसका टेस्ट कराना इसलिए भी जरूरी होती है क्योंकि हेपेटाइटिस बी के लक्षण बहुत से लोगों में नहीं दिखाई देता है. वहीं, बहुत से लोगों में बहुत कम फ्लू के रूप में दिखाई देता है.
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HBsAg टेस्ट की प्रक्रिया बहुत ही सरल होती है. इस टैस्ट के दौरान आपका ब्लड सैंपल लिया जाता है. इसके बाद टेस्ट के लिए लैब भेजा जाता है. ये टेस्ट उन लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जो हेपेटाइटिस बी के वायरस से पहले से संक्रमित है. इस टेस्ट को लक्षणों के डेवलप होने से पहले उसका इलाज करने में मदद करता है. इसके साथ ही इस टेस्ट से यह भी पता चल जाता है कि जो पहले से हेपेटाइटिस बी पॉजिटीव है, उसकी बॉडी ने वायरस से लड़ने के लिए इम्यूनिटी डेवलप की है.
इस टेस्ट को आमतौर पर हेपेटाइटिस बी के टेस्ट के एक पैनल के रूप में किया जाता है. इस टेस्ट के पैनल में हेपेटाइटिस बी कोर एंटीबॉडी (HBcAb) और हेपेटाइटिस बी सतह एंटीबॉडी (HBsAb) में किसी एक को शामिल किया जा सकता है. अगर आपका HBsAg टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव है तो इसका सीधी सा मतलब है कि आप हेपेटाइटिस बी वायरस की चपेट में है और यह आपसे दूसरों में फैल सकता है. वहीं, अगर आपका टेस्ट पॉजिटिव आता है तो इसके बाद एक और टेस्ट किया जाता है, जिसमें पता लगाया जाता है कि हेपेटाइटिस बी का वायरस आप में एक्टिव है या नहीं.
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अगर टेस्ट रिजल्ट में ये दिखाई देता है कि हेपेटाइटिस बी का इंफेक्शन इनएक्टिव है तो आपसे ये दूसरों में नहीं फैलेगा. लेकिन इसके बावजूद आप एक वायरस की तरह है और यह फिर से आप में एक्टिव हो सकता है. वहीं, अगर आप इससे छह महीने से अधिक समय से इंफेक्टेड है तो आपको लीवर से संबंधित समस्याएं हो सकती है.
अगर आपका HBsAg टेस्ट पॉजिटिव आता है तो डॉक्टर इसका डाइग्नोसिस करने और वायरस की मात्रा का पता लगाने के लिए कुछ और टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं. जिनमें हेपेटाइटिस बी वायरल लोड टेस्ट या लीवर एंजाइम एलेनिन एमिनोट्रांस्फरेज (ALT) और एस्पार्टेट एमिनोट्रांस्फरेज (AST) टेस्ट शामिल हो सकते हैं.
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