जब आपको कोई बीमारी हो जाती है, तो डॉक्टर आपको तरह-तरह के टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं. उन टेस्ट के जरिए ही डॉक्टर बीमारी के जड़ तक पहुंचते है, जिससे वह उस बीमारी को जड़ से खत्म कर सकें. ऐसा ही एक टेस्ट HCT ब्लड टेस्ट (HCT Blood Test in Hindi) किया जाता है. HCT ब्लड टेस्ट के जरिए खून में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के रेशियों के जाना जाता है. हीनोग्लोबिन इसी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रोटीन के रूप में मौजूद होता है. ये ही फेफड़ों से ऑक्सीजन पूरे शरीर में सिर से लेकर पैर तक पहुंचाता है.
क्या होता है HCT ब्लड टेस्ट
इस टेस्ट को हेमेटोक्रिट टेस्ट और क्ड-सेल वॉल्यूम (PCV) टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है. ये एक नॉर्मल ब्लड टेस्ट होता है. इस टेस्ट को खून में पाए जाने वाले लाल रक्त कोशिकाओं के रेशियों को जानने के लिए किया जाता है. इस टेस्ट को दूरसे ब्लड टेस्ट की तरह ही शरीर से खून निकालकर किया जाता है. यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है, जिसमें 15 से 20 मिनट लगते हैं. इस टेस्ट की मदद से ब्लड काउंड और ऑक्सीजन-वहन क्षमता का पता लगाया जाता है. यह ब्लड टेस्ट सीबीसी का हिस्सा होता है. ये एक नॉर्मल ब्लड टेस्ट होता है, जो ब्लड के कई पार्ट को मेजर करता है. इसका इस्तेमाल नॉर्मल हेल्थ का टेस्ट करने के लिए किया जाता है.
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HCT ब्लड टेस्ट का उद्देश्य
हेमेटोक्रिट टेस्ट खून में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या का पता लगाने के लिए करते हैं. जो शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करते हैं. इसके साथ ही इस ब्लड टेस्ट की मदद से एनीमिया का पता लगाने और उसके इलाज में मददगार होता है. एनीमिया की बीमारी में लाल रक्त कोशिकाएं कम हो जाती है. अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज नहीं किया जाए तो आगे चलकर बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इस टेस्ट की मदद से एनीमिया का जल्दी पता लगाने में मदद मिलती है और इलाज सही समय पर शुरू हो जाता है.
HCT ब्लड टेस्ट के फायदे
अगर आप नियमित रूप से कोई हेमेटोक्रिट टेस्ट करवाता है तो उसे कई तरह के सेहत के लाभ मिलता है. इसके साथ ही अपने शरीर को तंदुरूस्त रखने में भी मदद मिलती है. इस टेस्ट की मदद से डिहाइट्रेशन का पता चलता है. क्योंकि इस टेस्ट की मदद से शरीर में तरल पदार्थ के स्तक में कमी से लाल रक्त कोशिकाओं की हाई सांद्रता होती है. इसके चलते हेमटोक्रिट का लेवल बढ़ जाता है. इसका नियमित रूप से टेस्ट करवाते रहने से हाइड्रेटेड रहने और दूसरी बीमारियों के खतरे से दूर रहते हैं. इस टेस्ट की मदद से ब्लड के विभिन्न डिसीज को जानने में मदद मिलती है. जैसे- पॉलीसिथेमिया या बोन मैरो से संबंधित बीमारी. इसके साथ ही इस टेस्ट को करवाने से ब्लड संबंधी बीमारियों का इलाज करने के दौरान उनपर नजर रखने में मदद मिलती है.
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कब किया जाता है HCT ब्लड टेस्ट
डॉक्टर आपके शरीर में कुछ विशेष लक्षण दिखाई देने पर हेमेटोक्रेटी टेस्ट करवाने के लिए कहते हैं. जो लक्षण निम्नलिखित हैं.
- अगर आपके शरीर में एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर आपको ये टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं.
- अगर आपको बार-बार सिर दर्द की समस्या या चक्कर आ रहा है तो इस टेस्ट को करवा सकते हैं.
- आपकी त्वचा रूखी हो गई हो तब भी डॉक्टर इस टेस्ट को करवाने की सलाह देते हैं.
- अगर आपकी हथेलियां या पैर हमेशा ठंडे रहते है तब भी इस टेस्ट को करवाने की सलाह दी जाती है.
- शरीर में किसी तरह का चक्कता पड़ने या लाली दिखाई देने पर भी इस टेस्ट को करवाया जाता है.
- अगर शरीर में ज्यादा खुजली हो या ज्यादा पसीना आ रहा हो तो भी डॉक्टर आपको यह टेस्ट करवाने की सलाह देते है.
- आपके आंखों से कम दिखाई देने पर इस भी इस टेस्ट को करवाने के लिए डॉक्टर कह सकते हैं.
- हमेशा थकान जैसा महसूस होने पर भी इस टेस्ट को करवाने की सलाह डॉक्टर देते हैं.
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HCT ब्लड टेस्ट का रिजल्ट
हेमेटोक्रिट टेस्ट के रिजल्ट को ब्लड की मात्रा के प्रतिशत के रूप में रिपोर्ट तैयार किया जाता है. ये लिंग और आयु के मुताबिक अलग-अलग हो सकता है. इसी के मुताबिक हेमेटोक्रिट लेवल की जांच की जाती है. नीचे दिए चार्ट में हमने बताया है कि उम्र और लिंग के हिसाब से हेमेटोक्रिट लेवल कितना होना चाहिए.
HCT ब्लड टेस्ट चार्ट | |
आयु | नॉर्मल रेंज (पुरुष और महिला) |
0 से 3 दिन | 45% to 67% |
3 दिन से 1 सप्ताह तक | 42% to 66% |
1 से 2 सप्ताह | 39% to 63% |
2 सप्ताह से 1 माह तक | 31% to 55% |
1 से 2 महीने | 28% to 42% |
2 से 6 महीने | 29% to 41% |
6 महीने से 2 साल तक | 33% to 39% |
2 से 6 साल | 34% to 40% |
6 से 12 वर्ष | 35% to 45% |
12 वर्ष से वयस्क (महिला) | 36% to 46% |
12 से 18 वर्ष (पुरुष) | 37% to 49% |
18 वर्ष से वयस्क (पुरुष) | 41% to 53% |
अगर लेवल कम हो
- टेस्ट रिपोर्ट में अगर हेमेटोक्रिट लेवल कम हो तो आपको एनीमिया हो सकता है.
- श्वेत रक्त कोशिका से संबंधित बीमारियां जैसे- ल्यूकेमिया या लिम्फोमा हो सकता है.
- खून में विटामिन या खनिज की कमी है.
- कोई लंबी बीमारी हो सकती है.
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अगर लेवल ज्यादा हो
- अगर आपका हेमेटोक्रिट लेवल रिजल्ट में आता है तो आप डिहाईड्रेशन के शिकार हो सकते हैं.
- पॉलीसिथेमिया वेरा जैसी बीमारी हो सकती है. जिसमें शरीर अधिक मात्रा में लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने लगता है.
- टेस्ट रिपोर्ट में ये कम होने पर आपको फेफड़ों से संबंधित बीमारी हो सकती है.
- आपको हार्ट संबंधी बीमारी भी हो सकती है.
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