हमारी दादी-नानी के समय से सितोपलादि चूर्ण (Sitopaladi churna) को घरेलू नुस्खे के तौर पर प्रयोग किया जाता है। सितोपलादि चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि होता है। इस चूर्ण में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरस और एंटीफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। सितोपलादि चूर्ण में सितोपला, पिप्पली, वंशलोचन, इलायची और मिश्री जैसी चीजें शामिल होती हैं। सितोपलादि चूर्ण को वंशलोचन, मिश्री, इलायची और दालचीनी को बारीकी से पीसकर कपड़े से छानकर तैयार किया जाता है। इसका स्वाद मिठा और कड़वा होता है। सितोपलादि चूर्ण एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है जो खांसी और सांस संबंधी समस्याओं से तुरंत राहत दिलाने में मदद करती है। सितोपलादि चूर्ण की यह खासियत होती है कि ये पुरानी से पुरानी खांसी-जुकाम को ठीक कर देता है और खास तौर से यह साइनस की समस्या में काफी मददगार होता है।
सितोपलादि चूर्ण में सोडियम, मैग्नीशियम, क्लोराइड, नाइट्रेट, कार्बोनेट, सल्फेट, फॉस्फेट, मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे अकार्बनिक तत्व मौजूद होते हैं। इसके अलावा सितोपलादि चूर्ण में स्टेरॉयड, फ्लेवोनोइड, फेनोलिक, प्रोटीन, अमीनो एसिड, कार्बोहाइड्रेट, टैनिन और एल्कलॉइड जैसे कार्बनिक तत्व भी मौजूद होते हैं।
प्रत्येक 10 ग्राम सितोपलादी चूर्ण में मिश्री 5.16 ग्राम, वंशलोचन 2.58 ग्राम, इलाइची 645.16 मिलीग्राम, पिप्पली 1.29 ग्राम और दालचीनी 322.58 मिलीग्राम मौजूद होते हैं। सितोपलादि चूर्ण बाजार में मिलता है। अगर आप चाहें तो इसे अपने घर पर भी बना सकते हैं। आइए सितोपलादि चूर्ण के फायदे और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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सितोपलादि चूर्ण में एंटी ट्यूसिव गुण मौजूद होते हैं, जो खांसी को दबाने की क्षमता रखता है। यह चूर्ण सभी प्रकार की खांसी जैसे- बलगम पैदा करने वाली सूखी खांसी, छाती पर चोट लगने के कारण उत्पन्न होने वाली खांसी, चिपचिपा बलगम पैदा करने वाली खांसी, ऐसी खांसी जो टीबी जैसे बीमारी के कारण होती है, को दूर करने में काफी मदद करता है।
गीली खांसी या कफ वाली खांसी होने में फेफड़ों में बलगम जम जाता है। ऐसे में इसके इलाज के लिए सितोपलादि चूर्ण का इस्तेमाल करना लाभदायक माना जाता है। इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरिया और एंटीवायरल गुण कफ को पिघलाने का काम करते देते हैं और इसे बाहर निकालने में भी मदद करता है। डॉक्टर द्वारा गीली खांसी होने पर लगातार सुबह-शाम सितोपलादि चूर्ण के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।
अगर आप पाचन संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो आपको सितोपलादि चूर्ण का इस्तेमाल करना चाहिए। यह चूर्ण चमत्कारी होता है, जो पाचन संबंधित समस्याओं के साथ ही इम्यून सिस्टम से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकलने में मददगार होता है। इसके अलावा यह चूर्ण गैस और सूजन जैसी पाचन समस्याओं को कंट्रोल करने में भी सहायता करता है। सितोपलादि चूर्ण सिर्फ पाचन तंत्र को मजबूत ही नहीं करता है, बल्कि यह शरीर में आयरन की कमी को भी दूर करता है।
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सितोपलादि चूर्ण में मौजूद पिप्पली, वंशलोचन और दालचीनी जैसे तत्व गले की खराश से तुरंत राहत दिलाने में मदद करते हैं। इस आयुर्वेद में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो ग्रसनीशोथ और टॉन्सिलिटिस जैसी गले की समस्याओं के इलाज में बहुत मददगार साबित होते हैं। अगर आपके गले में खराश हो रही है तो रात में सितोपलादि चूर्ण को शहद में मिलाकर चाट लें और सुबह तक गले की खराश कम हो जाएगी। सौंफ के साथ भी सितोपलादि चूर्ण का सेवन किया जा सकता है, जो कि गले में खुजली, गले में दर्द और गला बैठ जाने संबंधित लक्षणों को दूर करने में मदद करता है।
सितोपलादि चूर्ण में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होने के कारण ये सांस संबंधित संक्रमण को कंट्रोल करने में मदद करता है। साथ ही यह चूर्ण फ्लू, सर्दी, छाती में जमाव, निमोनिया, टीबी, बोंकाइटिस और अन्य सांस संबंधित समस्याओं और उनके कारण होने वाले बुखार को कम करने में सहायक साबित होता है।
ब्रोंकाइटिस बीमारी में फेफड़ों और सांस की नलियों में सूजन आ जाती है। इस दौरान अगर फेफड़े में बहुत ज्यादा कफ जमा हो गया है तो कई बार सांस से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से राहत दिलाने में सितोपलादि चूर्ण काफी मदद करता है। सितोपलादि चूर्ण छाती में कंजेक्शन को कम करता है और कफ को पिघला भी देता है इससे यह बाहर निकल जाता है। सितोपलादि चूर्ण में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण फेफड़ों के सूजन को कम करने में काफी मदद करता है।
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सितोपलादि चूर्ण में खनिजों का मिश्रण मौजूद होता है जो हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार करने में काफी मदद करता है। एनीमिया की बीमारी की वजह से आपको सांस संबंधित समस्याएं हो सकती हैं, चक्कर, थकान और चिड़चिड़ापन हो सकता है। सितोपलादि चूर्ण का नियमित सेवन आपको थकान, चिड़चिड़ापन और कमजोरी को दूर करने में मदद करता है। यह शरीर में आयरन के अवशोषण को बढ़ाने में काफी मददगार होता है। इसके नियमित सेवन से एनीमिया का इलाज होता है।
सितोपलादि चूर्ण एक प्राकृतिक औषधि है जिसमें अलग-अलग जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है। यह प्राकृतिक रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का काम करता है। इसे खाने के पहले या भोजन के बाद लिया जा सकता है।
सितोपलादि चूर्ण का अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। ज्यादा मात्रा में सितोपलादि चूर्ण के सेवन से पेट से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। प्रतिदिन 1 से 3 ग्राम या दो या तीन बार आप सितोपलादि चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। आप सुबह घी के साथ सितोपलादि चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। एक चम्मच सितोपलादि चूर्ण को देसी घी में मिलाकर सेवन करें। अगर आप इसका इस्तेमाल किसी छोटे बच्चे के लिए कर रहे हैं तो आप एक छोटे चम्मच में सितोपलादि चूर्ण को मिलाकर बच्चे को चटा दें। अगर बच्चा नहीं खाना चाहता है तो इसे उसके नाभि में गर्म कर लगा दें।
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अगर आप सितोपलादि चूर्ण का सेवन रात में करना चाहते हैं तो आपको इसे शहद में मिलाकर लेना चाहिए। सितोपलादि चूर्ण को शहद के साथ हल्का गुनगुना कर लें और उसके बाद इसे पी लें। ध्यान रखें कि इसके सेवन के तुरंत बाद आपको पानी नहीं पीना चाहिए।
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सवाल: क्या सितोपलादि चूर्ण सूखी खांसी के लिए सही रहता है?
जवाब: हां, सूखी खांसी के इलाज के लिए सितोपलादि चूर्ण को सही और प्रभावी माना जाता है। इसका उपयोग आप शहद या घी के साथ कर सकते हैं। यह कफ को कंट्रोल करने में काफी मदद करता है, जो कि खांसी से संबंधित समस्याओं का एक मुख्य कारण होता है। यह चूर्ण गले में सूखापन को भी काम करता है और इस प्रकार से यह सूखी खांसी से राहत दिलाता है।
सवाल: क्या सितोपलादि चूर्ण प्रतिदिन लिया जा सकता है?
जवाब: वैसे तो सितोपलादि चूर्ण का सेवन डॉक्टर की उचित परामर्श के अनुसार ही आपको करना चाहिए। मगर आप इसका उपयोग तब तक जारी रख सकते हैं जब तक आपको अपने लक्षणों से राहत न मिल जाए। हालांकि, अगर लक्षण बने रहते हैं तो ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से उचित परामर्श लेने की जरूरत है।
सवाल: सितोपलादि चूर्ण का दिन में कितनी बार सेवन करना चाहिए?
जवाब: आमतौर पर सितोपलादि चूर्ण के सेवन को लेकर डॉक्टर इसे दिन में एक या दो बार लेने की सलाह देते हैं।
सवाल: खांसी और सर्दी के समय सितोपलादि चूर्ण का प्रयोग कैसे करना चाहिए?
जवाब: 1-2 ग्राम सितोपलादि चूर्ण ले लें। उसे दिन में एक या दो बार शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। इसे पहली बार के सेवन के बाद दूसरी बार सेवन करने में कम से कम 30 मिनट का अंतर रखें।
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उम्मीद है कि आपको इस लेख से सितोपलादि चूर्ण के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी मिल गई होगी। अपने पुराने हो चुके ग्लूकोमीटर को छोड़े और BeatO स्मार्ट ग्लूकोमीटर खरीदें, जिसकी मदद से आप कभी भी और कहीं भी अपने शुगर लेवल की जाँच कर सकते हैं।
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