शरीर को हेल्दी रखने के लिए प्लेटलेट्स अहम भूमिका निभाता है. इसका निर्माण बोन मैरो में होता है, जो बॉडी की बोंस के भीतर एक स्पंजी टिशू होता है. आपरे शरीर में प्लेटलेट्स का काम ब्लड सेल्स में ब्लीडिंग को रोकने के लिए क्लॉट बनाना में मदद करना है. जब ब्लड में जरूरत से ज्यादा प्लेटलेट्स हो जाए तो आपको ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन वहीं अगर ये कम हो जाए तो इसका असर आपके शरीर पर कुछ दिन में दिखने लगता है. आपके शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा कितनी है, इसे ही जानने के लिए एमपीवी ब्लड टेस्ट (MPV Blood Test) करवाया जाता है. हम यहां पर आपको बता रहे हैं कि एमपीवी ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है और इसके करवाने की जरूरत क्यों पड़ती है.
एमपीवी का फूल फॉर्म मीन प्लेटलेट वॉल्यूम होता है. एमपीवी ब्लड टेस्ट की मदद से आपके खून में कितना प्लेटलेट्स है, उसे जाना जाता है. जो ब्लड के थक्के जमने, संक्रमण को रोकने और इलाज में मदद के लिए बहुत मगगदार होता है. इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं, जैसे- आपके हाथ में छोटा-सा कट लग जाता है. इस स्थिति में प्लेटलेट्स खून को बहने से रोकने के लिए आपस में चिपक जाते हैं, जिसकी वजह से आपका ज्यादा खून नहीं निकलता है. बता दें कि आपके एमपीवी को कई चीजें प्रभावित कर सकती है. जिसमें अधिक ऊंचाई पर रहना या हैवी एक्सरसाइज रूटीन का पालन करना शामिल है.
ये भी पढ़ें- कहीं खराब तो नहीं हो रही आपकी किडनी, किडनी फंक्शन टेस्ट से सबकुछ चल जाएगा पता
प्लेटलेट्स आकार का महत्व: प्लेटलेट्स खून के थक्के जमने में अहम भूमिका निभाते हैं, जो रक्तस्राव को रोकने के लिए मददगार होते हैं. इस टेस्ट से प्लेटलेस्ट्स के आकार का पता चलता है, जिससे यहा पता लगाया जा सके कि थक्का जमने का कार्य प्लेटलेस्ट्स सही से कर रहे हैं या नही.
प्लेटलेट का माप: इस टेस्ट की मदद से खून में मौजूद प्लेटलेट्स के औसत के आकार को मापा जाता है.
एमपीवी और प्लेटलेट फंक्शन: हाई एमपीवी से पता चलता है कि खून में बड़े और कम उम्र के प्लेटलेट मौजूद है. बड़े प्लेटलेट खून के थक्के बनाने में ज्यादा एक्टिव और प्रभावी होते हैं.
हृदय रोग का जोखिम: कुछ शोध में पाया गया है कि हाई एमपीवी के वजह से हार्ट संबंधित बीमारियां हो सकती है, जैसे आपको दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है.
ये भी पढ़ें-क्या है एमसीवी टेस्ट (MCV Test), कब किया जाता है, यहां जानें सबकुछ
इस टेस्ट के जरिए प्लेटलेट्स सहित ब्लड के कई अलग-अलग हिस्सों की जांच की जाती है. यह अक्सर सीबीसी टेस्ट का एक पार्ट होता है. अगर आपको पास रक्त विकार के लक्षण हैं, जिसमें बहुत अधिक या बहुत कम प्लेटलेट्स शामिल हो सकते हैं, तो आपको एमपीवी ब्लड टेस्ट की जरूरत पड़ सकती है.
ये भी पढ़ें-एलडीएच टेस्ट (LDH test in covid in Hindi) क्या है और क्यों किया जाता है?
इस टेस्ट की प्रक्रिया बहुत आसान होती है. इसमें एक सूई की मदद से आपके हाथ से ब्लड निकाला जाता है. जिसे वह एक टेस्ट ट्यूब में खींच लेंगे. इसमें दर्द बहुत कम होता है.
अगर आपके एमपीवी ब्लड टेस्ट हाई आता है, तो इसका मतलब है कि प्लेटलेट्स औसत से बड़े हैं. जिसका संकेत होता है कि आपके शरीर में अधिक प्लेटलेट्स का उत्पादन हो रहा है. ये काफी नए होते है, जो हाल ही में बोन मैरो से निकलते हैं. वहीं, जब किसी के रिपोर्ट में प्लेटलेट काउंट कम और एमपीवी स्तर हाई होता है, तो इसका मतलब होता है कि बोन मौरो तेजी से प्लेटलेट्स का प्रोडक्शन कर रहा है. ऐसा इसलिए हो सकता है कि आपके शरीर में पुराने प्लेटलेट्स नष्ट हो रहे हैं. उनकी पूर्ति के लिए बोन मैरो अधिक मात्रा में इसका प्रोडक्शन कर रहा है.
ये भी पढ़ें-लाइपेस टेस्ट (Lipase test in Hindi) क्या है और क्यों किया जाता हैं?
अगर आपके टेस्ट में एमपीवी कम दिखाई देता है तो इसका मतलब है कि प्लेटलेट्स औसत से छोटे हैं. ये पुराना होते हैं, जिसका यह भी मतलब हो सकता है कि आपका बोन मैरो पर्याप्त मात्रा में नए प्लेटलेट्स का प्रोडक्शन नहीं कर रहा है. कम एमपीवी होने के वजह से आपको अधिक रक्तस्राव हो सकता है.
क्या आपको भी एक अच्छे और भरोसेमंद डायबिटीज डॉक्टर की तलाश है, तो 25+ वर्षों के अनुभव के साथ नेशनल डायबेटोलॉजिस्ट पुरस्कार विजेता डॉ. नवनीत अग्रवाल को चुनें। जो घर बैठे डायबिटीज नियंत्रण करने के लिए सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में बताई गयी जानकारी सामान्य और सार्वजनिक स्रोतों से ली गई है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा सुझाव या सलाह नहीं है। अधिक और विस्तृत जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें। BeatoApp इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।