थायरॉइड अब एक आम बीमारी की तरह हो गई है. पहले यह बीमारी बड़ी उम्र वालों और खासतौर महिलाओं को होती थी। लेकिन हाल में खराब खान-पान और लाइफस्टाइल के चलते इसकी चपेट में बड़ी संख्या में युवा और बच्चे भी आने लगे हैं। डायग्नोस्टिक चेन एसआरएल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक 32 फीसदी भारतीय थायरॉइड से जुड़ी बीमारी से ग्रसित है। अमेरिका की एक ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, थायरॉइड उन बीमारियों में शामिल हो चुकी है, जिसे पहचानने में डॉक्टर गलती कर जाते हैं। इसलिए जानने की जरूरत है कि कौन-सा टेस्ट करवाने से थायरॉइड का पता लगाया जा सकता है। इस सवाल का जवाब है टीएसएच टेस्ट (TSH Test) यानी थायरॉइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट। आइये जानते हैं कि TSH Test क्या है, कैसे होता है, क्यों और कब करवाने की जारूरत पड़ती है।
थायरॉइड जानने के लिए किए जाने वाले TSH Test को जानने से पहले जान लेते हैं कि थायरॉइड क्या होता है. हमारे शरीर में एक अंग ग्लैंड पाया जाता है, जो शरीर के विकास के लिए जरूरी रासायनिक पदार्थों को निकालता है. जो पूरे शरीर में काम करते हैं और शारीरिक विकास से लेकर मेटाबोलज्म को बेहतर करते हैं. जिसके ज्यादा और कम होने के चलते लोगों को थायरॉइय हो जाता है.
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TSH Test थायरॉइड ग्लैंड की फंक्शनिंग और इसके जरिए स्रावित हार्मोन के लेवल जानने के लिए किया जाता है. यह ब्लड टेस्ट थायरॉइड ग्लैंड के किसी भी असामान्य फंक्शनिंग का पता लगाने में मदद करता है. इसके साथ ही TSH Test फायदा थायरॉइड की ट्रीटमेंट को और भी बेहतर करने के लिए किया जाता है. इसके साथ ही इसे यह जानने के लिए भी किया जाता है कि शरीर, ब्लड में थायरॉइड हार्मोन थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) के लेवल को लगातार बनाए रख रहा है या नहीं.
TSH Test को अधिकतर थायरॉइड के लेवल को खराब करने वाले कारणों को जानने के लिए किया जाता है. इस टेस्ट की मदद से यह पता लगाने में मदद मिलती है कि थायरॉइड ग्रंथी ठीक से काम कर रही है या नहीं. कहीं यह ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिव तो नहीं? इन दोनों ही परिस्थितियों में ये नुकसानदायक होता है. TSH Test से शरीर में थायरॉइड के किसी तरह के लक्षण आने से पहले ही बीमारी के बारे में पता चल जाता है.
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एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 40 वर्ष के अधिक उम्र के लोगों को साल में कम से कम एक बार टेस्ट जरूर TSH Test करवाना चाहिए. वहीं, जिन लोगों को लगता है कि उनका वजन अचानक बढ़ रहा है, उन्हें भी TSH Test को करवाना चाहिए. क्योंकि थायरॉइड के लक्षण बहुत ही सामान्य होते हैं.
थायरॉइड हाल के समय में युवाओं को भी अपने चपेट में ले रहा है. जिसे देखते हुए TSH Test को सभी को साल में एक बार जरूर करवाना चाहिए. वहीं, जिन लोगों को लगता है कि उनका वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ा हुआ है. इसके अलावा बिना किसी कारण के थकान का महसूस होना, कमजोरी लगना, आलस आना, हाथ-पैर में सूजन होना, बार-बार भूख लगे तो भी थायरॉइड हो सकता है. इस स्थिति का सामना किसी भी उम्र के लोगों में हो सकती है.
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थायरॉइड टेस्ट की रिपोर्ट में T0, T1, T2, T3, T4 और TSH लिखा होता है, जो थायरॉइड टेस्ट में किये जाने वाले लेवल होते हैं. रिपोर्ट में दिखने वाली ये चीजें बताती है कि थायरॉइड ग्रंथि कितने अच्छे से काम करती है. थायरॉइड टेस्ट रिपोर्ट में दिखने वाली T0, T1, T2 बताती है कि ये हार्मोन प्रीकर्सर्स और थायरॉइड हार्मोन के बाय-प्रोडक्ट है. ये तीनों थायरॉइड हार्मोन रिसेप्टर पर काम नहीं करते हैं और साथ ही यह पूरी तरह से निष्क्रिय रहते हैं. थायरॉइड में किये जाने वाले T3 टेस्ट से ट्राईआयोडोथायरोनिन लेवल का पता लगाया जाता है. इस टेस्ट को T4 और TSH के बाद हाइपोथायरायडिज्म का पता लगाने के लिए किया जाता है. T3 टेस्ट की नॉर्मल रेंज 100-200 ng/dL होती है. इससे ज्यादा रेंज आपकी रिपोर्ट में दिखाई देती है तो आप ग्रेव्स नामक बीमारी से ग्रसित है. जो हाइपोथायरायडिज्म से जुड़ा एक ऑटो इम्यून बीमारी होती है. T4 टेस्ट को थायरॉक्सिन टेस्ट कहा जाता है. ये आपके हाई लेवल ओवरएक्टिव थायरॉइड ग्लैंड की तरफ इशारा करते हैं. इसके लक्षण चिंता, वजन कम होना, कंपकपी और बार-बार दस्त की समस्या होना है. वहीं, अधिकतर डॉक्टर T4 और TSH को साथ में कराने की सलाह देते हैं.
वहीं TSH की बात करें तो इस टेस्ट का नॉर्मल रेंज 0.4 -4.0 mIU/L के बीच होती है. अगर आपके रिपोर्ट में TSH का लेवल 2.0 से ज्यादा दिखाई दे रही है, तो अंडरएक्टिव थायरॉइड यानी हाइपोथायरॉडिज्म बढ़ सकता है. अगर आपका अंडरएक्टिव थायरॉइड बढ़ता है तो आपको वजन बढ़ने , थकान , अवसाद और नाखूनों के टूटने जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, अगर TSH का लेवल कम है तो यह ओवरएक्टिव थायरॉइड को बताता है. जिसका मतलब है कि आपके शरीर में आयोडीन का लेवल बहुत बढ़ गया है.
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TSH Test के बाद अंडरएक्टिव थायराइड दिखता है तो डॉक्टर सिंथेटिक थायराइड हार्मोन की दवा रोजाना खाने की सलाह देते हैं. जिससे आपके शरीर में हार्मोन का बैलेंस बनता है और मरीज धीरे-धीरे सामान्य महसूस करने लगता है. वहीं, इसमें मोटापे का शिकार मरीजों का वजन घटने लगता है. इसकी दवा दो से तीन महीने चलने के बाद एक बार फिर डॉक्टर टीएसएच टेस्ट करवाने के लिए कहते हैं. इस टेस्ट के बाद रिजल्ट सामान्य आने पर दवा बंद कर दी जाती है.
उम्मीद है, इस ब्लॉग की मदद से आपको टीएसएच टेस्ट के बारे में जानने को मिला होगा। डायबिटीज में क्या खाएं और क्या नहीं इसके बारे में जानने के लिए और डायबिटीज फ़ूड और रेसिपीज पढ़ने के लिए BeatO के साथ बने रहिये।
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